कई बार कंपनियाँ कर्मचारियों पर ऐसा माहौल बना देती हैं कि उन्हें मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ता है। इसे “Forced Resignation” कहा जाता है और यह कर्मचारी के अधिकारों का उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में कर्मचारी को घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
1. सबूत इकट्ठा करें
सबसे पहले उन सभी परिस्थितियों और घटनाओं के सबूत इकट्ठा करें, जिनसे यह साबित हो कि आप पर दबाव डालकर इस्तीफा लिया गया।
- ईमेल
- चैट मैसेज
- मीटिंग रिकॉर्ड्स
- गवाहों के बयान
ये सब आपके पक्ष को मजबूत करेंगे।
2. लीगल नोटिस भेजें
अपने वकील की मदद से कंपनी को विधिवत लीगल नोटिस भेजें। नोटिस में स्पष्ट लिखें कि आप पर किस तरह का दबाव बनाया गया और किन परिस्थितियों में आपको इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।
अगर कंपनी ने आपकी सैलरी या अन्य देय राशि रोकी है, तो उसका भी उल्लेख ज़रूर करें।
3. लेबर कमिश्नर से संपर्क करें
अगर नोटिस का कोई असर नहीं होता है, तो आप अपने क्षेत्र के लेबर कमिश्नर ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लेबर कमिश्नर कंपनी को नोटिस भेजकर जवाब मांगेंगे और आपके मामले की जांच करेंगे।
4. सिविल कोर्ट में मुकदमा करें
यदि लेबर कमिश्नर के स्तर पर भी समाधान नहीं निकलता, तो अगला कदम है सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करना। यहाँ पर आप अपने अधिकारों की रक्षा और बकाया राशि की वसूली के लिए विधिक उपाय कर सकते हैं।
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